बलरामपुर, 12 अक्टूबर । छत्तीसगढ़ के रामानुजगंज नगर से कुछ ही दूरी पर स्थित पलटन घाट आज भी अपनी अद्भुत प्राकृतिक सुंदरता, ऐतिहासिक महत्त्व और धार्मिक आस्था के लिए जाना जाता है। यह घाट केवल पानी का किनारा नहीं, बल्कि इतिहास, संस्कृति और स्थानीय जनजीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुका है।
प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर स्थल
कन्हर नदी के तट पर बसा पलटन घाट चारों ओर हरियाली, शांत जलधारा और पक्षियों की मधुर चहचहाहट से मन मोह लेता है। सुबह और शाम के समय जब सूरज की किरणें नदी के पानी पर सुनहरी लहरें बनाती हैं, तो दृश्य मानो किसी चित्रकार की कल्पना जैसा प्रतीत होता है। स्थानीय लोग बताते हैं कि यहां आने से मन को अजीब सी शांति मिलती है। बहुत से परिवार रविवार या छुट्टी के दिन यहां पिकनिक मनाने या आत्मिक शांति पाने पहुंचते हैं।
पलटन घाट का नाम ‘पलटन’ इसलिए पड़ा क्योंकि ब्रिटिश काल में यहां सैनिकों की टुकड़ी (पलटन) ठहरी रहती थी। कहा जाता है कि अंग्रेज शासनकाल के दौरान यह क्षेत्र रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण था, और यही घाट उस दौर में आवागमन और सुरक्षा का प्रमुख केंद्र था। स्थानीय बुजुर्ग बताते हैं कि घाट से जुड़ी कई लोककथाएं भी हैं। कुछ इसे तपोभूमि मानते हैं तो कुछ इसे स्वतंत्रता संग्राम के समय के गुप्त मार्ग के रूप में याद करते हैं।
पलटन घाट पर्यटन की दृष्टि से एक छिपा हुआ रत्न है। यदि प्रशासन और पर्यटन विभाग यहां बुनियादी सुविधाएं जैसे बैठने की व्यवस्था, सूचना बोर्ड, सुरक्षा कर्मी और लाइटिंग की व्यवस्था करे, तो यह जगह सरगुजा संभाग का प्रमुख पर्यटक स्थल बन सकती है। रामानुजगंज के युवा अब सोशल मीडिया पर इसके वीडियो और फोटो साझा कर लोगों को यहां आने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
रामानुजगंज नगर पालिका अध्यक्ष रमन अग्रवाल ने हिन्दुस्थान समाचार से बातचीत में कहा कि, पलटन घाट हमारे क्षेत्र की पहचान है। यहां पर्यटन विकास की काफी संभावनाएं हैं। नगर पंचायत की ओर से घाट की साफ-सफाई और सौंदर्यीकरण का प्रस्ताव तैयार किया गया है, ताकि इसे जिले के पर्यटन नक्शे पर प्रमुखता से जोड़ा जा सके।”
पलटन घाट केवल एक नदी तट नहीं, बल्कि रामानुजगंज की आत्मा है। जहां इतिहास की गूंज, प्रकृति की सुंदरता और आस्था की धारा एक साथ बहती है। यदि सही दिशा में प्रयास किए जाएं, तो यह स्थल आने वाले वर्षों में न केवल बलरामपुर जिले बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ का गौरव बन सकता है।
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